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समय की मांग: कृषि पारिस्थितिकी और जैविक खेती पर असमिया भाषा प्रशिक्षण वीडियो

Need of the hour: Assamese language training videos

पूर्वोत्तर भारत में असम राज्य के छोटे किसानों के लिए कृषि पारिस्थितिकी और जैविक खेती पर 'एक्सेस एग्रीकल्चर' प्रशिक्षण वीडियो के असमिया भाषा संस्करणों की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए, कामरूप जिले के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के प्रमुख धीरेंद्र नाथ कलिता ने इसे “समय की मांग” कहा।

 

डॉ. कलिता को एक वीडियो अनुवाद कार्यशाला के समीक्षा सत्र के दौरान अपनी टिप्पणी देने के लिए एक विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, जिसे एक्सेस एग्रीकल्चर द्वारा 1-3 नवंबर को गुवाहाटी, असम में ‘भारत में कृषि पारिस्थितिकी परिवर्तन प्रक्रियाओं के समर्थन' (SuATI) परियोजना के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था। ।

 

गुवाहाटी स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के संचार और विस्तार के वरिष्ठ विशेषज्ञ ज्योति विकास नाथ, भी अतिथि-समीक्षकों में से एक थे, ने प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी और सुधार के लिए कुछ सुझाव दिए।

 

SuATI परियोजना भारत में जर्मन विकास एजेंसी, GIZ द्वारा सरकारी और गैर-सरकारी भागीदारों के निकट सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य कर्नाटक, मध्य प्रदेश और असम राज्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में कृषि और खाद्य प्रणालियों की कृषि पारिस्थितिकी रूपांतर प्रक्रियाओं को मजबूत करना है।

 

बीस लाख से अधिक छोटे और सीमांत कृषक परिवारों के साथ, असम भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक है। इन किसानों को वीडियो का उपयोग करके उनकी अपनी भाषा में विश्वसनीय, प्रासंगिक ज्ञान से समर्थ करना महत्वपूर्ण है, जो उन्हें जानकारी को अधिक प्रभावी ढंग से कायम रखने में मदद कर सकता है, ताकि वे जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को अपनाते हुए स्थायी तरीके से खाद्यान का उत्पादन और विपणन कर सकें।

 

जैविक और पारिस्थितिक कृषि पद्धतियों, खाद्य प्रसंस्करण, विपणन और ग्रामीण उद्यमिता पर उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण वीडियो एक्सेस एग्रीकल्चर (www.accessagriculture.org) प्लेटफॉर्म पर मुफ्त उपलब्ध हैं, जो 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय भाषाओं में 250 से अधिक वीडियो प्रस्तुत करता है।

 

SuATI परियोजना के हिस्से के रूप में, स्थानीय किसानों की मदद के लिए इस संग्रह के 70 सबसे प्रासंगिक वीडियो को असमिया हितधारकों द्वारा असमिया में अनुवाद के लिए चुना गया है। एक्सेस एग्रीकल्चर SuATI परियोजना का सहयोग करने के लिए वीडियो के अनुवाद, वितरण और उपयोग के लिए क्षमता का निर्माण कर रहा है।

 

तीन दिवसीय वीडियो अनुवाद कार्यशाला में किसान-अनुकूल शब्दावली, ऑडियो-रिकॉर्डिंग, ध्वनि- जाँच तकनीकों और ऑडियो संपादन का उपयोग करके असमिया में वीडियो आलेख  के अनुवाद पर व्यावहारिक सत्र शामिल थे।

 

प्रतिभागियों ने मृदा उर्वरता प्रबंधन, ड्रिप सिंचाई, सामुदायिक बीज बैंक और भागीदारी गारंटी प्रणाली से संबंधित चार वीडियो पर काम किया। इन चार वीडियो के असमिया संस्करण अब उपलब्ध हैं और एक्सेस एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के लिए तैयार हैं।

 

यह देखते हुए कि वीडियो राज्य के लिए एक संपत्ति होगी, प्रदीप्त किशोर चंद, कृषि सलाहकार, और असम में जीआईजेड-सुआटीआई के कनिष्ठ कृषि सलाहकार, मनोशी चक्रवर्ती ने प्रतिभागियों की उपलब्धियों की सराहना की । उन्होंने एक्सेस एग्रीकल्चर के प्रति अपना आभार और प्रसंशा व्यक्त की।

 

"मेरे लिए, यह वास्तव में क्रियान्वित कृषि पारिस्थितिकी परिवर्तन प्रक्रिया है और प्रतिभागी अच्छे मददगार व्यक्ति की तरह हैं क्योंकि वे हमारे किसानों की मदद करने के लिए उदारतापूर्वक अपना समय और विशेषज्ञता दे रहे हैं" श्री चंद ने कहा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कृषि पारिस्थितिकी परिवर्तन प्रक्रिया पर सफलता की कहानियों का दस्तावेजीकरण करने के लिए भविष्य में भी सहयोग जारी रहेगा।

 

शोधकर्ताओं, अनुवादकों, संचारकों और मीडिया व्यवसायियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिभागियों को उनकी विशेषज्ञता और कौशल के आधार पर असम से चुना गया था। टीमों में काम करते हुए, उन्होंने नए कौशल सीखने में गहरी रुचि दिखाई और एक्सेस एग्रीकल्चर वीडियो के विशुद्ध गुणवत्ता मानकों का पालन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

 

समापन समारोह में, जिसमें प्रमाण पत्र प्रदान करना शामिल था, प्रतिभागियों ने अपने बहु-माध्यम कौशल और पर्यावरण-अनुकूल कृषि के ज्ञान को बढ़ाने का यह अद्भुत अवसर देने के लिए जीआईज़ेड और एक्सेस एग्रीकल्चर की सराहना की।

 

“वीडियो में दिखाई गई कम लागत वाली तकनीक असम में छोटे किसानों के लिए बहुत उपयुक्त है,” कार्यशाला में भाग लेने वाले असम सरकार के सेवानिवृत्त कृषि उप निदेशक खगेंद्र सरमा ने टिप्पणी की। "मैं इस कार्यक्रम से जुड़कर बेहद खुश हूं जो हमारे किसानों के लिए मूल्यवान होगा।"

 

श्री सरमा ने विषय वस्तु विशेषज्ञ के रूप में कार्य करते हुए कार्यशाला टीमों को मजबूत सहयोग प्रदान किया। कृषि और बागवानी विभागों में अग्रणीय पदों पर अपने लंबे अनुभव के अलावा, वह बड़े पैमाने पर जनसंपर्क माध्यम विस्तार सहयोग और कृषि दर्शन में, जो एक भारतीय टेलीविजन कार्यक्रम है जो कृषक समुदायों तक कृषि संबंधी जानकारी प्रसारित करता है, सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

 

अन्य अनुभवी और योग्य प्रतिभागियों की टिप्पणियों में गुणवत्ता को दी गई प्राथमिकता, विस्तृत विवरण पर ध्यान और वीडियो में वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझाने के लिए इस्तेमा की जाने वाली बातचीत की भाषा और गुणवत्ता वाले वीडियो उत्पादन के लिए टीम वर्क मूल्य की प्रशंसा शामिल है। वे विशेष रूप से एक्सेस एग्रीकल्चर संसाधन कर्मियों अतुल पगार, केविन मुटोंगा (जिन्होंने ऑनलाइन सहायता की) और आर. रमन के निरंतर समर्थन की सराहना करते थे।

 

कार्यशाला के समापन समारोह में ऑनलाइन शामिल हुए एक्सेस एग्रीकल्चर के सह-संस्थापक फिल मैलोन ने कहा, "आप असली सुपरस्टार हैं, क्योंकि पहली बार हमारे पास एक्सेस एग्रीकल्चर में असमिया भाषा के वीडियो हैं, आपका धन्यवाद।" "हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हम यह उन किसानों की सेवा कर रहे हैं जो भारत के दूरदराज के हिस्सों में काम करते हैं, उनके ज्ञान निर्माण का कर, ताकि कृषि पारिस्थितिकी एक वास्तविक सफलता हो सके।"

 

उन्होंने प्रतिभागियों को इसी उत्साह के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और विशेषज्ञों को उनकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने डॉ. संगीता काकोटी, उप निदेशक, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रोडक्शन सेंटर (ईएमपीसी) और स्टेशन मैनेजर, ज्ञान तरंग सामुदायिक रेडियो, कृष्णा कांता हांडिकि, स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी, असम द्वारा दी गई विशेष मदद को स्वीकारा, जिन्होंने कई प्रतिभागियों की कार्यशाला के लिए सिफारिश की और सामुदायिक रेडियो कार्यक्रमों के माध्यम से वीडियो को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है।

 

फिल ने SuATI परियोजना को उनके मजबूत समर्थन के लिए GIZ भागीदारों को हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करते हुए समापन किया और सफल कार्यशाला के लिए आयोजकों की सराहना की। यह छोटे किसानों के लाभ के लिए दीर्घकालिक साझेदारी की शुरुआत है।

 

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